-काली कमाई के कितने कुबेर ? परिवहन के एक और ‘प्रवर्तन अवर-निरीक्षक’ का कारनामा..’पत्नी’ के नाम पर पटना में अर्जित कॉमर्शियल जमीन को छुपाया
सम्वाददाता। पटना।
बिहार में धनकुबेर अफसरों की कमी नहीं. अवैध कमाई कर संपत्ति बनाते हैं फिर उसे सरकारी की नजरों से बचाते हैं. हाल के वर्षों में पांच दर्जन से अधिक धनकुबेर अफसरों के खिलाफ जांच एजेंसी ने कार्रवाई की है. परिवहन विभाग की बात करें तो पिछले महीने ही परिवहन विभाग के सब-इंस्पेक्टर विकास कुमार के ठिकानों पर निगरानी ने छापेमारी की थी. चार साल पहले भी एक प्रवर्तन अवर-निरीक्षक श्यामनंदन प्रसाद के ठिकानों पर निगरानी ने छापा डाला था. वैसे परिवहन विभाग में एक से बढ़कर एक धनकुबेर हैं. हाल के वर्षों में कई सब इंस्पेक्टर, एमवीआई और डीटीओ के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति केस में छापेमारी भी की गई है. आज भी कई ऐसे अफसर-कर्मी हैं जो अपनी अवैध कमाई से बनाई संपत्ति को छुपाए बैठे हैं. परिवहन विभाग में ऐसे ही प्रवर्तन अवर निरीक्षक(सब-इंस्पेक्टर) हैं, जिन्होंने अपनी पत्नी के नाम पटना सिटी इलाके में लाखों रू की व्यवसायिक जमीन खरीदी और सरकार की नजरों से छुपा लिया.
परिवहन विभाग में एक प्रवर्तन अवर निरीक्षक हैं. इन्होंने अपनी पत्नी के नाम व एक अन्य के नाम पर पटना सिटी में व्यवसायिक जमीन की खरीद की है. परिवहन के सब-इंस्पेक्टर ने जुलाई 2020 में पटना सिटी के रजिस्ट्री कार्यालय में एक दिन में लगभग 26 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री कराई। इस 27 डिसमिल जमीन का सरकारी रेट लगभग 18 लाख है. निबंधन के कागजात में जमीन को व्यवसायिक ब्रांच रोड बताया गया है. यहां तक तो सब ठीक है. जमीन की रजिस्ट्री कराना गलत नहीं है. गलत तब है जब उस जमीन को परिवहन के सब-इंस्पेक्टर ने संपत्ति के ब्योरा में छुपा लिया. प्रवर्तन अवर निरीक्षक ने 2023 में संपत्ति का जो ब्योरा दिया है उसमें सारी बातें हैं, पर पटना सिटी वाला उस जमीन का ब्योरा नहीं दिया गया है. जबकि यह व्यवसायिक जमीन 2020 में ही खरीद की गई।
सरकारी सेवक को स्वयं या पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति की जानकारी साझा करना होता है. सरकार के आदेश पर हर सरकारी सेवक संपत्ति की जानकारी देता है. सभी जानकारी देते भी हैं लेकिन वहां भी खेल कर देते हैं. कुछ ऐसे सरकारी सेवक हैं जो चालाकी करते हैं और पत्नी के नाम पर अर्जित महंगी जमीन खरीद की जानकारी छुपा लेते हैं. सरकार की नजर में वो संपत्ति अवैध मानी जाती है और डीए का केस हो सकता है।
बता दें, जिस प्रवर्तन अवर निरीक्षक की बात कर रहे हैं उनका पैतृक घऱ चंपारण के गंडक तटवर्ती इलाका है. वर्तमान में इनकी प्रतिनियुक्ति गंगा नदी के किनारे के एक शहर में है. वैसे प्रवर्तन अवर निरीक्षक की पत्नी हाऊस वाइफ हैं. परिवहन सब-इंस्पेक्टर ने खुद की संपत्ति का जो ब्योरा दिया है उसमें पैतृक गांव की जमीन,गांधी के शहर जिला मुख्यालय स्थित मकान,बागीचा के साथ-साथ नोएडा में पत्नी के नाम पर फ्लैट बुकिंग का भी उल्लेख किया है. अब सब-इंस्पेक्टर की पूरी पोल-पट्टी खुल गई है,साथ ही पड़ताल भी शुरू हो गई है.