दिवाली पर बिहार वालों ने ‘धुआं-धुआं’ कर दिया,अब जारी हो गया रेड अलर्ट

दिवाली पर बिहार वालों ने ‘धुआं-धुआं’ कर दिया,अब जारी हो गया रेड अलर्ट

-हाजीपुर वाले तो सावधान ही रहें

संवाददाता। पटना।

दीपावली 2024 के बाद बिहार के कई जिलों में हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। हाजीपुर सबसे अधिक प्रभावित है, जहां AQI 304 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। पटना सहित 19 जिलों को प्रदूषण के खतरों के प्रति आगाह किया गया है।
दरअसल, बिहार में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने पटाखे जलाकर खुशियां मनाई। लेकिन इस उत्सव का असर बिहार के वातावरण पर साफ दिखाई दे रहा है। सुबह होते ही कई जिलों में हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो गई। बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 19 जिलों में हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है। 9 जिले खराब श्रेणी में हैं और 9 जिले ज्यादा खराब श्रेणी में हैं और हाजीपुर जिला बहुत अधिक खराब श्रेणी में है।
हाजीपुर में AQI 304 दर्ज किया गया, जो ‘रेड अलर्ट’ की स्थिति है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समीर ऐप के अनुसार, यह स्तर खतरनाक है और इससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। ऑरेंज अलर्ट वाले 9 जिलों में हवा की गुणवत्ता ज्यादा खराब श्रेणी में है।
अररिया में 274 AQI, पूर्णिया में 265 AQI, मुजफ्फरपुर में 247 AQI, बेगूसराय में 237 AQI, समस्तीपुर में 236 AQI, भागलपुर में 222 AQI, बेतिया में 220 AQI, सिवान में 217 AQI और पटना में 204 AQI दर्ज किया गया। 200 से 300 के बीच AQI वाले क्षेत्रों में सांस और दमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

9 जिलों में AQI 100 से 200 के बीच दर्ज किया गया, जो येलो अलर्ट की श्रेणी में आता है। यह स्तर भी कई बीमारियों को जन्म दे सकता है। मुंगेर में 195 AQI, बिहार शरीफ (नालंदा) में 191 AQI, छपरा में 178 AQI, कटिहार में 171 AQI, सहरसा में 168 AQI, बक्सर में 170 AQI, गया में 144 AQI, मोतिहारी में 136 AQI और गोपालगंज में 112 AQI दर्ज किया गया।
पिछले साल भी दीपावली के दौरान पटना, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर और गया में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया था। इसके परिणामस्वरूप, सुप्रीम कोर्ट ने इन जिलों में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल भी इन जिलों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था और अन्य जिलों में केवल ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति थी। हालांकि, आंकड़े देखने से ऐसा लग रहा है कि पटाखों पर प्रतिबंध का सख्ती से पालन नहीं हुआ, जिसके कारण हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है।

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