मुजफ्फरपुर में मानव अधिकार दिवस पर गोष्ठी
तिब्बत में मानवाधिकार हनन पर चिंता व्यक्त, वैश्विक जनमत बनाने पर जोर
-मुजफ्फरपुर में मानव अधिकार दिवस पर गोष्ठी
— तिब्बत में मानवाधिकार हनन पर चिंता व्यक्त, वैश्विक जनमत बनाने पर जोर
मुजफ्फरपुर। मिठनपुरा स्थित सुधांजलि परिसर में भारत तिब्बत मैत्री संघ की ओर से मानव अधिकार दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर विकास नारायण उपाध्याय ने की। गोष्ठी का मुख्य विषय था— “तिब्बत में मानव अधिकार का हनन”।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मानव अधिकार दिवस तिब्बत के मानवाधिकार संघर्ष को और अधिक सशक्त बनाने का अवसर है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर जनमत तैयार करना आवश्यक है, ताकि तिब्बत में मानव अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
डॉ. सिंह ने कई देशों के उदाहरण देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव ही तिब्बत की स्थिति सुधारने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
अन्य वक्ता आनंद कुमार ने तिब्बत में हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकार उल्लंघनों को स्पष्ट करते हुए कहा कि वहां के लोगों को वर्षों से प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है।
अमित कुमार, श्रीमती शालिनी रंजन सहित अन्य वक्ताओं ने भी कहा कि तिब्बत का मानव अधिकार मुद्दा विश्व के लिए एक गंभीर विषय है, जिसका समाधान केवल जनमत और वैश्विक एकजुटता से ही संभव है।

भारत तिब्बत मैत्री संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने कहा कि तिब्बत की समस्या अत्यंत संवेदनशील है। भारत को चाहिए कि वह चीन से संवाद कर समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए।
उन्होंने डोकलाम सहित कई विवादित स्थलों का उल्लेख करते हुए कहा कि चीन तिब्बत की भूमि, नदी और खनिज संसाधनों का लगातार दोहन कर रहा है।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि इसी दिन दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था, जो मानव अधिकार और शांति के संघर्ष का प्रतीक है।
इस अवसर पर विनय प्रशांत, दिनेश प्रसाद सिंह, रोहित सिंह और अर्जुन कुमार ने भी तिब्बत में मानवाधिकार हनन की स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किए।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. विकास नारायण उपाध्याय ने कहा कि तिब्बत के मानव अधिकारों का मुद्दा केवल एक देश का नहीं, बल्कि विश्व मानवता के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि “दुनिया को आगे आकर तिब्बत की आवाज बनना होगा।”
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विनय प्रशांत ने कहा कि वे और उनके साथी हमेशा तिब्बत के मानवाधिकार की रक्षा के लिए भारत तिब्बत मैत्री संघ के साथ खड़े रहेंगे।
— रिपोर्ट : दीपक कुमार तिवारी



