“मकर संक्रान्ति” पर विशेष,भगवान सूरज निरंतर चलायमान..

“मकर संक्रान्ति” पर विशेष
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ए सृष्टि में समस्त चराचर जगत क जीवन प्रदान कइके, भगवान सूरज निरंतर चलायमान रहेलें। आपन दैनिक यात्रा में उ कभी उत्तरायण, त कभी दक्षिणायन भईल करेले। जवने प्रकार से मनुष्य के खातिर दिन अउर रात क विधान ब्रह्मा जी बनउलें हऊएं। ओही प्रकार से देवता लोगन क खातिर दिन-रात क चयन भईल हउए। जब भगवान सूरज दक्षिणायन होलें त देवता लोगन क रात मानल जाला। अउर ए समय कवनों भी शुभ कार नाहीं कइल जाला। दक्षिणायन क समय व्यतीत कइके जब सूरजदेव मकर राशि में प्रवेश करल त देवता लोगन क सुबह होके उनकर दिन शुरु हो जाला, अउर तब सब शुभ कार कइल शुरु हो जाला। भगवान सूरज जब एक राशि से दूसरे राशि में जालें त ओके संक्रांति कहल जाला। वइसे त वरीस भर में बारह संक्रान्ती होला पर मकर संक्राति क ए सब में विशिष्ट स्थान होला। मकर संक्रान्ति सम्पूर्ण सृष्टि में जीवन क संचार करे वाले भगवान सूरज क उपासना क परव त हउए ही साथे में इ जन आस्था अउर लोकरूचि क परव भी हउए। आज के दिन प्रात:काल नदी में नहइले क विशेष महत्व हउए, अइसन मान्यता ह कि मकर संक्रान्ति के दिन नदीएन में होखेे वाला वाष्पन क्रिया से अनेक प्रकार क रोग नष्ट हो जाला।

भगवान सूरज के उत्तरायण भइले क महत्व क अनेक शास्त्रन में भी देखल जा सकल जाला। अइसन हमार मान्यता ह कि प्रकाश अर्थात उत्तरायण में ए पंचभौतिक शरीर क त्याग करे वाले व्यक्ति पुनर्जन्म नाहीं ले ले, उहे अन्धकार अर्थात दक्षिणायन में शरीर क त्याग करे वाले व्यक्ति क पुनर्जन्म लेवे के पड़ेला। अइसने तथ्यन के आधार बना के पितामह भीष्म शरशैय्या पर तब तक पडल रहलें जब तक भगवान सूरजदेव उत्तरायण नाहीं हो गइलें। भगवान सूरज के उत्तरायण भइले के बादे ही उ अपने प्राण क त्याग कइलें रहलें। मकर संक्रान्ति क महत्व क मात्र पुराणन में ही नाहीं बल्कि विज्ञान भी महिमामण्डित कइले ह। आज क दिन ही “खिचड़ी परव” भी लगभग पूरे भारत में भिन्न-भिन्न नाम से मनावल जाला।

आज के वर्तमान युग में जहवा धीरे-धीरे लोग पौराणिक मान्यता
के मानल लगभग बंद कै दीहलें हउए, अउर लोग विज्ञान क ही सब कुछ माने लगल हउएं। अइसन लोग आज क दिन खिचड़ी क परव भी नाहीं मनावल चाहलें, जबकि खिचड़ी परव के मान्यता के विज्ञान भी खुब स्वीकार कइले ह। अगर ध्यान दीहल जा त खिचड़ी परव अनेकता में एकता क प्रतीक बनके, एक दिव्य संदेश प्रसारित करेला। अनेक प्रकार क सामग्री के एके में ही मिलाके बनउले के ही खिचड़ी कहल जाला, ओके विज्ञान भी मानल कि खिचड़ी पाचन क दुरुस्त रखेला। अदरक अउर मटर मिलाके खिचड़ी बनउले पर ए शरीर क रोग के प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ावेला, अउर अनेक प्रकार के संक्रमण क तोड़ले में सहायक सिद्ध होला।

खिचड़ी परव क मान्यता पर इ जानल जरूरी होखेला, कि जवने प्रकार से खिचड़ी में अनेक सामग्री मिलके एक हो जात ह ओही प्रकार से भिन्न भिन्न संस्कृति मिलके अपने देश भारत क निर्माण भइल बा। अइसन मान्यता हउए कि आज के दिन ही मुगलन से लड़त गुरु गोरखनाथ क योगी लोग दुपहरीया में समय न मिलले के कारन अनेक प्रकार क भोजन न बना के, सब सामग्री एके में डार के एक नया पकवान बनावल, जेके खिचड़ी कहल गइल। मकर संक्रांति अउर खिचड़ी परव क भारत वर्ष के लगभग सब प्रांतन में अलग-अलग नामन से मनावल जाला। छत्तीसगढ़, गोवा, उड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल अऊर जम्मू आदि में एके “मकर संक्रांति” कहल जात ह, त तमिलनाडु में “ताई पोंगल” अउर “उझवर तिरुनल” के नाम से भी जानल जाला। गुजरात में एके “उत्तरायणी”, हरियाणा हिमाचल प्रदेश अउर पंजाब में एके “माघी” त असम में “भोगाली बिहू” कश्मीर घाटी में “शिशुर सेंक्रांत” उत्तर प्रदेश अउर पश्चिम विहार में “खिचड़ी”, पश्चिम बंगाल में “पौष संक्रांति” कर्नाटक में “मकर संक्रमण” के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनावल जात ह। ए प्रकार से पूरे भारत में मकर संक्रांति क परव भिन्न-भिन्न नामन से जानल जाला, अउर मनावल जाला। भारतीय मान्यता स्वयं में दिव्य रहल बा एके मानल अउर न मानल व्यक्ति क जन्म सिद्ध अधिकार त हउए ही पर एसे बाहर भी त नाहीं जाइल जा सकल जाला।

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनवले अउर खइले के पहीले नहाइल अउर दान पून्य कइले बहुत बडहन महत्व ह। भगवान सूरज क उपासना क इ परव जीवन में एक नया ऊर्जा क संचार करेला।

संक्रांति शब्द में ही लगाव ह, जुड़ाव ह। इ सीत अउरी बसंत क संधि ह, आकाश अउर धरती क मिलन ह, लोक अउर शास्त्र क समन्वय ह, पोषण अउर त्याग क समवेत ह।

ए परव में जाने केतना अरथ समाइल बा।

अगर त्यौहारन क बात कइल जा त, होली में तन-मन ह, दीपावली में मन-धन ह, पर संक्रांति तन-मन-धन क परव ह। पहीले तन क नहावल, फिर धन क दान अउर मन क उड़ान।

ए शुभकामना अउर आशा के साथ की उत्तरायण क सूरज, रउरे सपना क, नया ऊष्मा प्रदान करे, रउरे यश अउर कीर्ति में, उत्तरोत्तर वृद्धि होखे, रउरे अपने परिजन सहित, स्वस्थ रहीं, सांनद रहीं, सुखी रहीं, खुश रहीं, अउर दीर्घायु रहीं, जवहा भी रहीं, वहवा हमेशा ही, सुरक्षित रहीं।

मकर संक्रांति क बहुत-बहुत बधाई अउरी हार्दिक शुभकामना बा।

 

लेखकः परदमानंद पांडेय
(अध्यक्ष,
अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास (पजी०))

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