भोजपुरी के दर्दभरे सुरों के सम्राट — राधेश्याम रसिया की अधूरी दास्तां

-भोजपुरी के दर्दभरे सुरों के सम्राट — राधेश्याम रसिया की अधूरी दास्तां

गोपालगंज से अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट

भोजपुरी संगीत जगत में जब भी दर्दभरे गीतों, निर्गुण और लोकगायकी की बात होती है, तो सबसे पहले नाम आता है सुपरस्टार राधेश्याम रसिया का। गोपालगंज जिले के कोन्हवां मोड़ के रहने वाले इस गायक ने अपनी आवाज से न सिर्फ करोड़ों दिलों को छुआ, बल्कि भोजपुरी संगीत को नई पहचान भी दी।

4 मार्च 1977 को एक साधारण परिवार में जन्मे राधेश्याम रसिया के पिता नाई की दुकान चलाते थे, जिसे आज उनके भाई संभालते हैं। बेहद सामान्य परिवेश से निकलकर राधेश्याम ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के दम पर वह ऊंचाई हासिल की जहां उन्हें लोग ‘निर्गुण गीतों के सम्राट’ के रूप में जानते हैं।

उनकी आवाज में दर्द और मिठास का ऐसा संगम था कि श्रोता हर सुर में खुद को पिघलता महसूस करते थे।
“राजा राजा करेजा में समजा” और “तोहार बिना ना रही हम” जैसे गीत आज भी गांव-गांव में गूंजते हैं। चौपालों से लेकर बारातों तक, उनके गीतों ने हर तबके के लोगों को झूमने पर मजबूर किया।

राधेश्याम रसिया का परिवार आज भी संगीत की इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। उनके बेटे सूरज रंग रसिया अपने पिता के साथ मंच साझा करते रहे हैं। प्रयागराज महाकुंभ में पूरा परिवार साथ नजर आया था, जहां राधेश्याम ने अपने लोकप्रिय निर्गुण गीतों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया/

लेकिन लोकप्रियता के साथ विवाद भी जुड़ा। एक दौर में उन पर अश्लील गीतों से भोजपुरी संगीत में फूहड़ता फैलाने के आरोप लगे। समाज के एक वर्ग ने उनके गीतों के बोलों का विरोध किया, फिर भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। विरोधों के बीच भी वे भोजपुरी के सबसे चर्चित गायकों में गिने जाने लगे।

कहते हैं कि शोहरत की इस चकाचौंध में शराब ने उनकी जिंदगी की लय बिगाड़ दी। मंचों पर भीड़ खींचने वाली उनकी आवाज धीरे-धीरे खामोश होती चली गई। नशे की लत ने उनके करियर और जीवन दोनों को भीतर से तोड़ दिया।

फिर भी, राधेश्याम रसिया की आवाज आज भी जिंदा है।
उनके गाए निर्गुण और दर्दभरे गीत अब भी गांवों की गलियों, चौपालों और जनमानस की यादों में गूंजते हैं। उन्होंने भोजपुरी संगीत को लोक की आत्मा से जोड़ा और यह साबित किया कि असली कला दिल से निकलती है, किसी मंच की मोहताज नहीं होती।

राधेश्याम रसिया केवल एक गायक नहीं, बल्कि एक ऐसी आवाज़ हैं जिसने दर्द, प्रेम और जीवन की सच्चाई को सुरों में पिरो दिया — और यही वजह है कि वे भोजपुरी संगीत के इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे।

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