भागवत कथा संपन्न — हवन यज्ञ के साथ कथा को दिया विराम, सुदामा चरित्र से भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
-भागवत कथा संपन्न — हवन यज्ञ के साथ कथा को दिया विराम, सुदामा चरित्र से भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
मुजफ्फरपुर/बन्दरा।दीपक कुमार तिवारी।
प्रखण्ड क्षेत्र के मतलुपुर स्थित बाबा खगेश्वर नाथ महादेव मंदिर परिसर में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन सोमवार को भव्य हवन यज्ञ के साथ हुआ। अंतिम सत्र में अयोध्या से पधारे आचार्य श्रीदास कमलेश जी महाराज ने कथा को विराम देते हुए जीवन और धर्म के गूढ़ संदेश दिए।
आचार्य श्रीदास कमलेश जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि “मानव का पाप सिर पर और पुण्य सीने पर रहता है, कर्म के अनुसार ही फल प्राप्त होता है।”
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के रुक्मिणी विवाह सहित सत्यभामा आदि के साथ हुए 16,100 विवाह के रहस्य को वेदों के मंत्रों से जोड़ते हुए बताया कि “ये सभी मंत्र मूर्तिमान होकर स्वयं भगवान से परिणय करते हैं।”

महाराज जी ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सुदामा ने जीवनभर किसी से कुछ नहीं माँगा, वे सदैव भगवान के कीर्तन में लीन रहे।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “यह धारणा गलत है कि सुदामा को उनके वेश के कारण द्वारका से निकाला गया था। भगवान श्रीकृष्ण का दरबार सभी के लिए खुला था, और सुदामा का स्वागत द्वारपालों ने बड़े आदर से किया। स्वयं भगवान द्वार पर जाकर उन्हें गले लगाया और अपने आसन पर बिठाया।”
अंत में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन-यज्ञ सम्पन्न हुआ, जिसके साथ कथा का विधिवत समापन किया गया।
मौके पर अमृतेश (बब्लू सर), विनय पाठक, गोपाल जी त्रिवेदी, राकेश त्रिवेदी, पवन ठाकुर सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा के पावन समापन पर भक्ति में डूबे नजर आए।
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