बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार की आहट से गरमाई सियासत, 9 खाली कुर्सियों पर तेज हुई राजनीतिक हलचल

-बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार की आहट से गरमाई सियासत, 9 खाली कुर्सियों पर तेज हुई राजनीतिक हलचल

दीपक कुमार तिवारी।पटना।

बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्माहट से भर गई है। एनडीए की बंपर जीत के बाद जहां नई सरकार का गठन हो चुका है और विधानसभा सत्र भी शुरू हो गया है, वहीं अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मंत्रिपरिषद में अगले महीने संभावित विस्तार को लेकर सत्ता के गलियारों में हलचल तेज हो गई है। चर्चाओं का दौर जारी है—कौन बनेगा नया मंत्री, किसे मिलेगा प्रमोशन और किसके हाथ से छिन सकता है कोई अहम विभाग। सियासी हवा में फिलहाल मुलायमियत और कड़ाई दोनों का मिश्रण महसूस किया जा रहा है।

फिलहाल नीतीश कैबिनेट में 9 मंत्री पद खाली हैं, जिनमें जेडीयू के छह और बीजेपी के तीन पद शामिल हैं। संवैधानिक प्रावधान के अनुसार बिहार में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। एनडीए के सीट फार्मूले के मुताबिक बीजेपी को 17, जेडीयू को 15 (जिसमें सीएम भी शामिल), एलजेपी को 2 और हम व आरएलपी को एक-एक मंत्री पद तय किया गया है। इसी आधार पर अभी भी जेडीयू के 6 और बीजेपी के 3 नेता मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं।

जेडीयू: सामाजिक संतुलन साधने की तैयारी

सूत्रों की मानें तो जेडीयू इस बार सामाजिक समीकरण को साधने के मूड में है। पार्टी की कोशिश होगी कि कुशवाहा समाज और अति पिछड़ा वर्ग के विधायकों को अधिक तवज्जो दी जाए, ताकि सत्ता का सामाजिक बैलेंस और मजबूत हो। फिलहाल जेडीयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव के पास पांच, विजय चौधरी के पास चार, जबकि श्रवण कुमार और सुनील कुमार के पास दो-दो विभाग हैं। ऐसे में नए मंत्रियों के आने पर कुछ बड़े विभागों का बंटवारा बदले जाने की पूरी संभावना है।

बीजेपी: नए चेहरों की तलाश और विभागों की अदला-बदली की तैयारी

बीजेपी में भी आंतरिक चर्चाओं का दौर जारी है। विजय सिन्हा, मंगल पांडेय, नितिन नबीन और अरुण शंकर प्रसाद दो-दो विभाग संभाल रहे हैं। पार्टी इस पर मंथन कर रही है कि नए चेहरों को कैसे शामिल किया जाए और किन विभागों का पुनर्वितरण संभव है।

विधायक तोड़ने की चर्चा, जेडीयू ने किया खारिज:

इस बीच राजनीतिक गलियारों में यह अफवाह भी उड़ी कि जेडीयू दूसरे दलों के विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। लेकिन जेडीयू ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि संख्या बल इतना मजबूत है कि किसी भी तरह की राजनीतिक इंजीनियरिंग की ज़रूरत नहीं है। राज्यसभा चुनाव भी अभी छह महीने दूर हैं और वर्तमान स्थिति में एनडीए सभी पांच सीटें जीतने की मजबूत स्थिति में है।

आने वाले वर्षों की राजनीति तय करेगा कैबिनेट विस्तार:

नीतीश कैबिनेट का यह विस्तार न सिर्फ सत्ता का नया नक्शा खींचेगा, बल्कि आने वाली राजनीतिक रणनीति की ज़मीन भी तैयार करेगा। यानी बिहार की सियासत में अभी कई पन्ने और पलटने बाकी हैं।

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