-सावधान! अब ऑनलाईन पढ़ाई के नाम पर बच्चे हो रहे ठगी के शिकार
मुजफ्फरपुर। संवाददाता।
ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चे झांसे में आकर ठगी के शिकार हो रहे हैं।बच्चों के नासमझी या झांसे के प्रभाव में आने से बेहतर शिक्षा के नाम पर उसके अभिभावक भी ठगी का शिकार होकर तंगहाल हो रहे हैं। ग्रामीण सूत्रों का बताना है कि यूं तो कई लोग इस तरह के ठगी के शिकार हुए हैं, लेकिन कोई मामला सम्बंधित अधिकारी तक पहुंच रहा है तो कई बार लोग तंग तबाह होकर एवं मन मसोसकर रह जा रहे हैं। इस तरह ठगी का शिकार अनपढ़ परिवार के या कम पढ़े-लिखे परिवार के बच्चे तो हो ही रहे हैं, नौकरी पेशा एवं शिक्षित परिवार के बच्चे भी जालसाज के चंगुल में आ रहे हैं।
यह है ताजा मामला:
ताजा मामला बंदरा पीएचसी में कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ता देश दीपक भारती से जुड़ा है। उन्होंने सोमवार की संध्या बताया कि उनकी बच्ची दीपम भारती केंद्रीय विद्यालय में क्लास-4 की छात्रा है। एक दिन ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर किसी प्रचार को देखकर उसकी बच्ची ने उसका बटन दबा दिया और इंटरेस्टेड हो गयी। जिसके बाद ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर उसका टेस्ट लेने की बहाने से एक अनजान शख्स घर पर आया और बच्ची सहित घर के लोगों को ऑनलाइन बेहतर पढ़ाई के नाम पर राजी कर लिया। विश्वास में लेकर 5हज़ार रुपया नगद लिया और बैंक अकाउंट का डिटेल्स लेकर ओटीपी कन्फॉर्मेशन के माध्यम से ट्रैकिंग लिया।
ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर टैब जैसा एक डिवाइस थमा दिया। जिसमें ऑनलाइन कोई टीचर उपलब्ध नहीं है।उसमें अपलोड वीडियो आदि ही प्ले हो पाते थे। विदेशी अंग्रेजी भाषा होने की वजह से बच्चे को समझ में भी नहीं आ रहा है। वहीं उनके एसबीआई बैंक के खाते से प्रत्येक महीने 5हज़ार रुपए भी कटना शुरू हो गया है। जब उन्होंने संबंधित बैंक के अधिकारी से मामले की शिकायत की और डिटेल्स खंगाला तो बताया गया कि उनके नाम पर लोन सेन्सन कर दिया गया है और प्रत्येक महीने 5हज़ार रुपये का ईएमआई कटेगा।पीड़ित देश दीपक भारती ने बताया कि अब प्रत्येक महीने कटने वाले पैसे को बंद कराने के लिए वह लगातार संपर्क का प्रयास करके थक चुके हैं। ना घर पर आने वाले व्यक्ति से संपर्क हो पा रहा है, न हीं फोन कर डिटेल्स बताने-समझाने वाले से संपर्क हो पा रहा है।सभी के मोबाइल ऑफ बता रहा है। उन्होंने बताया कि मेरी बच्ची की तरह कई अन्य लोग भी ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर ठगी के शिकार हो चुके हैं। इस तरीके से वे अनावश्यक रूप से 60हज़ार रुपये कर्ज में आ गए हैं।बैंक भी कोई मदद करने से हाथ खड़ा कर दिया है। मजबूरन उन्हें बैंक में जमा निकासी बंद करना पड़ा है, जबकि वह नौकरी के सैलरी अकाउंट है। जिससे कई तरह की परेशानी उत्पन्न हो गई है।उन्होंने बताया कि अलग-अलग क्लास एवं कोर्सेज के नाम पर अलग-अलग फीस एवं स्कॉलर मिलने की बात बताई गई थी।
बीडीओ बोले:
इस संदर्भ में बंदरा के बीडीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि बच्चे कई बार जाने-अनजाने में विज्ञापनों के प्रभाव में आ जा रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों को सतर्कता बरतने की जरूरत है। जब तक बच्चा समझदार नहीं हो जाए, उसे अनावश्यक मोबाइल के संपर्क से बाहर रखने की जरूरत है। क्योंकि सारा सिस्टम ऑनलाइन रहने की वजह से कभी भी ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होना या डाटा आदि हैक होना सम्भव है।